15 मिनट में पहुंची एंबुलेंस, प्रसव करवा कर जच्चा-बच्चा को अस्पताल पहुंचाया

जच्चा-बच्चा की जान बचाने के लिए ईएमटी यार मोहम्मद और पॉयलट संजीव ने दिखाई तत्परता


घर पर ही प्रसव करवाने के बाद मां और बेटी को जिला महिला अस्पताल पहुंचाया


• बच्ची के पिता फूलचंद ने 102 नंबर सेवा के प्रति जताया आभार


• बीती मध्यरात्रि के बाद 12.45 पर उपलब्ध कराई गई सेवा 


जिले में 102 नंबर सेवा से जुड़े इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन (ईएमटी) यार मोहम्मद और पॉयलट संजीव ने तत्परता, संजीदगी और कुशलता की मिसाल पेश की है। मध्यरात्रि के बाद आए प्रसूता के परिजनों के फोनकॉल पर पंद्रह मिनट में एंबुलेंस लेकर मौके पर पहुंच गये। हालात जब बेहद खराब दिखे तो परिवार के महिला की मदद से घर पर ही प्रसव कराया। प्रसव के बाद उन्हें दिखा की बच्ची की गले की नाल फंस रही है तो समय न गंवाते हुए जिला महिला अस्पताल पहुंचा दिया। अब जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ है। बच्ची के पिता फूलचंद काफी प्रसन्न हैं और उन्होंने 102 नंबर सेवा के प्रति आभार भी जताया है।


महानगर के लालडिग्गी क्षेत्र के रहने वाले दिव्यांग फूलचंद पेशे से शिक्षक हैं। मध्यरात्रि के बाद उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो उन्होंने गर्भवतियों के लिए समर्पित 102 नंबर एंबुलेंस को कॉल किया। करीब 12.09 मिनट पर गाड़ी संख्या यूपी 32ईजी1196 के पॉयलट संजीव और ईएमटी यार मोहम्मद को मौके पर जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। दोनों लोग 12.35 पर गाड़ी लेकर रवाना हुआ और 12.45 पर प्रसूता पायल के घर के पास पहुंच गए।


ईएमटी यार मोहम्मद ने बताया, ‘‘प्रसूता के घर तक एंबुलेंस ले जाना संभव नहीं था। उनका घर संकरी गलियों में था। हम स्ट्रेचर लेकर घर पहुंचे। उनकी हालत देखी तो महसूस किया कि अब समय नहीं बचा है। गाड़ी तक ले जाने के लिए भी समय नहीं बचा था। परिजनों को समझाया तो वह घर में प्रसव के लिए तैयार हो गये। हम लोगों को संस्थागत प्रसव का प्रशिक्षण मिला हुआ है। इसलिये हमने वहीं प्रसव कराने का निर्णय लिया। आवश्यक किट भी एंबुलेंस में मौजूद रहती है। प्रसव कराने के बाद दिखा कि बच्ची के गले की नाल फंस रही है तो बिना देर किये जच्चा-बच्चा को लेकर हम जिला महिला अस्पताल पहुंच गये।’’


बच्ची के पिता फूलचंद ने बताया, ‘‘एंबुलेंसकर्मियों ने कदम-कदम पर मदद की। न केवल सुरक्षित प्रसव करवाया बल्कि अस्पताल जाने के बाद पंजीकरण करवाने और भर्ती करवाने तक में मदद की। मेरी पत्नी और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। प्रसव के मामले में लोगों को सरकारी एंबुलेंस का भरोसा करना चाहिए। इन लोगों को पास पर्याप्त प्रशिक्षण होता है और मददगार भी होते हैं।’’


एंबुलेंस में भी हुए हैं प्रसव
एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही संस्था जीवीके फाउंडेशन के प्रोग्राम मैनेजर अजय उपाध्याय ने बताया कि 102 नंबर एंबुलेंस के भीतर पहले भी दर्जनों प्रसव ईएमटी और पॉयलट की मदद से हुए हैं। इस समय जिले में 102 नंबर सेवा की कुल 50 गाड़िया सेवा दे रही हैं। इन गाड़ियों के पॉयलट और ईएमटी प्रसव कराने में दक्ष होते हैं। इन गाड़ियों में संस्थागत प्रसव का किट भी मौजूद रहता है।


22865 प्रसूताओं को पहुंचाया अस्पताल


एंबुलेंस सेवा के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ. नंद कुमार ने बताया कि अप्रैल से लेकर अगस्त माह तक कोरोना काल 102 नंबर एंबुलेंस की गाड़ियों ने 22865 प्रसूताओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला महिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचाया है। इनमें से 11061 महिलाओं को घर से अस्पताल, जबकि 11025 महिलाओं को अस्पताल से घर और 779 प्रसूताओं को रेफरल की सेवाएं दी गईं।