लॉकडाउन में वरदान साबित हो रही एम्बुलेंस सेवा

लॉकडाउन में वरदान साबित हो रही एम्बुलेंस सेवा


पूरे समर्पणभाव से कार्य रहे हैं एम्बुलेंस कर्मचारी


समय से पहुँच रही हैं 108, 102 और ए.एल.एस 


गोरखपुर, 10 अप्रैल 2020


लॉकडाउन में जहां हर कोई घरों में रहने को मजबूर है वहीं किसी भी मरीज को अस्पताल आने या अस्पताल से जाने में तकलीफ न हो इसके लिए एम्बुलेंस कर्मचारी दिन रात एक किए हुये हैं। 


सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि जनपद में लोगों के लिए 108, 102 और ए.एल.एस सेवा निशुल्क उपलब्ध है। जिले में अभी हमारे पास कुल 100 एम्बुलेंस हैं, जो 24 घंटे लोगों की सेवा के लिए लगी है। जिले में 102 नंबर की 50 एंबुलेंस, 108 नंबर की 46 एंबुलेंस और 04 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस उपलब्ध हैं। इनमें से 22 एंबुलेंस को सीएचसी-पीएचसी पर कोरोना से बचाव के लिए तैनात किया गया है और यह कोरोना डेडीकेटेड कार्य करेंगी।


इस बीच, सूबे में एंबुलेंस की सेवा प्रदाता संस्था जीवीके-ईएमआरआई के राज्य प्रमुख किशोर नायडू ने कहा है कि एम्बुलेंस कर्मचारी और इमरजेंसी रिस्पांस सेंटर की टीम लोगों की सेवा के लिए युद्धस्तर पर अपनी सेवाएं दे रही है। लॉकडाउन में बेहतर एम्बुलेंस सेवा से जहां कोरोना के प्रकोप से बचने में मदद मिल  रही है वहीं हार्टअटैक या एक्सिडेंट समेत अन्य आपातकालीन समस्यों से निपटने में लोगों की हर संभव मदद की जा रही है। उन्होने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है हमारे सभी कर्मचारी स्वेछाभाव से एक योद्धा के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। इसके लिए सभी कर्मचारियों का बहुत-बहुत धन्यवाद। 


उन्होने बताया कि वायरस कोविड-19 के प्रोटोकाल के मुताबिक कॉलसेंटर में कर्मचारियों के बीच की दूरी बढ़ा दी गई है। फील्ड में जाने वाले एम्बुलेंस कर्मचारी कोविड-19 के प्रोटोकॉल को पूरी तरह फालो कर रहे हैं। जीवीके-ईएमआरआई के राज्य प्रमुख ने बताया कि वर्तमान में यूपी में एम्बुलेंस सेवा 108 की 2200, एम्बुलेंस सेवा 102 की 2270 और ए.एल.एस की 250 एम्बुलेंस 24 घंटे अपनी निशुल्क सेवा दे रही हैं।


दिव्यांग भी निभा रहे अहम भूमिका


संस्था के कॉल सेंटर में करीब 12 दिव्यांग कर्मचारी हैं। खास बात यह सभी कर्मचारी हर दिन अपनी ड्यूटी पर आ रहे हैं। कर्मचारियों ने बताया कि हमें छुट्टी लेने के लिए कहा गया था लेकिन किसी भी दिव्यांग कर्मचारी ने छुट्टी नहीं ली। कुलदीप, (दिव्यांग) ने बताया कि इस समय छुट्टी लेकर घर बैठ जाना बड़े ही शर्म की बात है। लोगों को आज मेरी जरूरत है। मैं स्वेच्छा से अपना कार्य कर रहा हूं। लोग घरों में हैं और मैं काम कर रहा हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है। वहीं मनवीर, (दिव्यांग) ने बताया कि मुझे पता चला कि लॉक डाउन के कारण बहुत से लोग काल सेंटर नहीं पहुंच पा रहे हैं। ये जानते हुए मैं अपनी ड्यूटी जारी रखने का निर्णय लिया और ऐसे समय में लोगों की मदद करके अच्छा लग रहा है।


सचमुच के हैं योद्धा


पहले डर लग रहा था लेकिन अब कोई डर नहीं लगता है। हम सभी यहां 24 घंटे कार्य कर रहे हैं। ऐसे कठिन समय में हमें लोगों की मदद करने का मौका मिला है यह हमारे लिए एक सौभाग्य की बात है।-निर्मल आर्या, ईआरओ


सभी लोग घर पर हैं और हम यहां काल सेंटर में ड्यूटी कर रहे हैं। अब तो आर्मी वाली फीलिंग आ रही है ऐसा लग रहा है कि हम बार्डर पर हैं। लोगों को सेवाएं देते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है।
-हर्ष चौधरी, ईआरओ


हम तैयार हैं
गोरखपुर में एंबुलेंस सेवा से जुड़े ईएमटी संजीव व पॉयलेट सरबजीत ने बताया कि कोविड-19 से लड़ाई के लिए वह हमेशा तैयार हैं। पहली बार ऐसा महसूस हो रहा है कि हम सिर्फ नौकरी ही नहीं, बल्कि सामाजिक कार्य कर रहे हैं। हमे अपने काम से आत्मसंतोष मिल रहा है।


सर्दी, जुकाम पर रात में मिली सुविधा


खजनी क्षेत्र के ग्राम डांगीपार की एक लड़की सर्दी, जुकाम और खांसी से भयभीत हो गई। उसके परिवार के लोग भी काफी डर गए। लॉकडाउन के कारण बाहर निकलना मुश्किल था। रात में 10.30 पर एंबुलेंस वालों को सूचना मिली। लड़की को रात में ही लाकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। लड़की को सामान्य बुखार था। इलाज के बाद अगले दिन 9 अप्रैल को वह डिस्चार्ज कर दी गयी। लड़की ने बताया कि अगर एंबुलेंस नहीं होती तो यह संभव ही नहीं था कि उसे अच्छा इलाज मिले।