महिला दिवस की पूर्व संध्या पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन

महिला दिवस की पूर्व संध्या पर परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी


 


मानवाधिकार संघ भारत गोरखपुर इकाई के द्वारा विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर एक परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन प्रदेश अल्पसंख्यक कार्यालय वजीर मंजिल ,रायगंज गोरखपुर में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ शमशाद आलम (एडवोकेट) एवं इंजीनियर मोहम्मद मिन्नतुल्लाह संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन करके किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ _भारत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ) शमशाद आलम एडवोकेट ने कहा कि वर्तमान समय में महिलाएं खुद को सशक्त बनाने में पूर्ण रूप से सक्षम हुई है और साथ ही साथ अपना प्रतिनिधित्व स्वयं कर रही है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ _भारत के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर मोहम्मद मिन्नतुल्लाह ने विस्तार से चर्चा करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि विश्व महिला दिवस क्यों मनाया जाता है और यह स्वर प्रथम कहां मनाया गया और इसका उद्देश्य क्या था उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य नसल जाति धर्म से ऊपर उठकर महिलाओं को आपसी उन्नति और भविष्य में विश्व पटल पर अपना व्यापक स्थान प्राप्त करने के लिए खुद के लिए मंथन करने का अवसर होता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष आर्किटेक्ट मोहम्मद आतिफ ने सबसे पहले सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई साथ ही साथ कहा कि इस तरह की परिचर्चा से महिलाओं को आत्मनिर्भर होने का अवसर मिलता है और अपनी समस्याओं को समाज के सामने लाने का एक सुनहरा अवसर मिलता है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि गोरखपुर शहर के पूर्व मेयर डॉक्टर सत्या पांडे, संगीत नाटक एकेडमी के सदस्य राकेश श्रीवास्तव, तथा वरिष्ठ समाजसेवी डॉ रूप कुमार बनर्जी ने भी अपने विचार रखे।
तथा काव्यगोष्ठी का आरंभ करते हुए संचालन करते हुए हाफिज नसीरुद्दीन ने जैसे ही महिलाओं के ऊपर अपनी पंक्तियां पढ़ी लोगों ने खूब तालियां बजाई।
इसी क्रम में काव्यपाठ करने वालों में,
यह काम अच्छा नहीं मेरी समझ से,
छुरी हाथों में मुंह पर राम रखो!
      #सलीम मज़हर
मेरे ग़म को अपना बनाओ तो कोई बात बने,
दो कदम तुम भी साथ निभाओ तो कोई बात बने,
        #कुँवर विनम्र
खत्म करें रूढ़िवाद दहेजप्रथा।
कि संस्कार हमारे अमर रहे ।
       #सौम्या यादव
जिन्हें सर पे बिठाना चाहिए था,
उन्हें घर से निकाला जा रहा है,,
        #कासिम रजा
ना ही अब हम अबला है
ना ही हम बेचारी हैं
        #दीक्षा राय
ना मैं सती ना ही मीरा,
ना ही किसी की राधा हूं, मैं आशा हूं
     #ऐश्वर्या कनौजिया
इसी के साथ साथ शिवांगी पाठक जूही ने भोजपुरी में गीत पेश किए, साथ ही साथ गौरी मिश्रा, वसीम मजहर गोरखपुरी, लाएब नूर, सबरी निजाम, आदि ने अपने कलाम पेश किए।
कार्यक्रम के संयोजक मंडल प्रभारी मोहम्मद शोराज खान ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर जिला अध्यक्ष ख्वाजा शमसुद्दीन, (प्रदेश मीडिया प्रभारी) अरशद अहमद, (मीडिया प्रभारी) जुनेद खान, जिला अध्यक्ष (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ) सरदार जसपाल सिंह, प्रदेश सचिव (अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ) राशिद कलीम अंसारी, सिराज सानू, कनक हरि अग्रवाल, डॉक्टर की शर्मा, फैजान अहमद, मुदस्सीर अहमद के साथ-साथ संगठन के बहुत पदाधिकारी उपस्थित रहे।
इसी के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता आशीष रूंगटा, प्रवीण श्रीवास्तव, डॉक्टर सौरभ पांडे, अशफाक हुसैन मकरानी, नासिर हुसैन, सुधीर झा, डॉक्टर मुस्तफा खान, अमरनाथ जयसवाल, विजय श्रीवास्तव, जितेंद्र सैनी, अंश कश्यप, आदि को सामाजिक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।