जिसकी जितनी संख्यावारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी: ध्रुवचंद जायसवाल

शिक्षण संस्थानों कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में भी संविधान के तहत आरक्षण चाहिए : ध्रुवचंद


जिसकी जितनी संख्यावारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी।।


गोरखपुर। अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ध्रुवचंद जायसवाल ने कहा कि आरक्षण मिलने के बावजूद भी समतामूलक समाज का विस्तार नहीं के बराबर है आज भी समानता लाने की जरूरत है कई पीढ़ियों से शिक्षा से वंचित रहे समाज को शिक्षा नहीं दी जाती थी शिक्षा पर एकाधिकार मुठ्ठीभर लोगों का था।5000 सालों की इतिहास की बात माने तो बरसों से गुलामी दासता प्रथा थी जो अब कहानी बन गई है । यह विचार उन्होंने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर व्यक्त किया।



उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कहीं न कहीं पुनः पुरानी व्यवस्था लागू करने की चेष्टा हो रही है, अभी भी आरक्षण की जरूरत है आरक्षण का दायरा बढ़ाने की जरूरत है इसके लिए सरकार को संविधान में संशोधन करने की जरूरत पड़े तो करने की आवश्यकता है कुछ समय पहले आर एस एस प्रमुख महोदय ने भी आरक्षण के संबंध में अपने सुझाव दिए थे आरक्षण पर बहस होनी चाहिए उस पर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। 
प्रदेश अध्यक्ष श्री जायसवाल ने कहा कि सरकार ने कई ऐसे नियमों में संशोधन किए हैं जो देश हित में जरूरी था देश हित में संविधान में संशोधन करने की जरूरत है। समाज में विघटन ना हो इसके लिए अब जरूरी हो गया है कि जनसंख्या के अनुसार सभी वर्ग के लोगों को उनकी जनसंख्या के आधार के अनुसार आरक्षण दिया जाए। श्री जायसवाल ने कहा कि जिसकी जितनी संख्यावारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी फार्मूला को लागू किया जाए।


           श्री जायसवाल ने कहा कि देश में समानता लाने के लिए समतामूलक समाज की स्थापना करने की जरूरत है, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास,  माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था वह तभी साकार होगा जब ईमानदारी के साथ संविधान को लागू किया जाए आरक्षण को जिस नियत से सरकार ने लागू किया है कांग्रेस की पूर्व सरकार रही हो या भाजपा की वर्तमान सरकार रही हो जाने अनजाने में आरक्षण प्राप्त जातियों के साथ छल व विश्वघात हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण प्राप्त जातियों की संख्या विश्वविद्यालयों एवं देश के उच्च संस्थानों में नग्ण है आज भी कमोवेश मुठ्ठी भर जातियों का परोक्ष या अपरोक्ष रुप से कब्जा है शदियों की परम्परा आज भी लागू करना चाहते है रोस्टर प्रणाली की आड़ में इन संस्थानों पर मुठ्ठी भर लोगों का कब्जा हो गया है। 
 श्री जायसवाल ने कहा कि सरकार से मांग है कि आरक्षण प्राप्त जातियों को उच्च पदों पर तब तक चयन किया जाय जब तक पूर्णरुपेण आरक्षण प्राप्त जातियों का बराबर की भागीदारी विश्वविद्यालयो एवं उच्च संस्थानों में नहीं मिल जाता है। 
          श्री जायसवाल ने कहा कि शिक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को 3 गुना बजट बढ़ाने की जरूरत है। कुछ महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। न्यायपालिका में भी अब हर हाल में सभी समाज के लोगों का कमोवेश हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में भी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।