एमडीए कैंपेन शुरू, 17 फरवरी से घर-घर जाएगी टीम 

एमडीए कैंपेन शुरू, 17 फरवरी से घर-घर जाएगी टीम 



  • पूरे जनपद में 29 फरवरी तक चलेगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन राउंड (एमडीए)

  • लिम्फैटिक फाइलेरियासिस से बचाव के लिए ज़रूर खाएं दवा


गोरखपुर, 16 फरवरी ।
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए 17 से 29  फरवरी तक पूरे जिले में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) चलेगा, जिसका शुभारंभ रविवार से ही हो गया है। शहरी क्षेत्र में झरना टोला स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने इस कैंपेन की शुरूआत आरोग्य मेले के दौरान की।



सीएमओ ने बताया कि जनपद के सभी 78 पीएचसी पर आरोग्य मेले में ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस कैंपेन की शुरूआत कर दी है। पहले दिन इन पीएचसी पर बूथ बना कर आने वाले सभी लोगों को दवा खिलाई गई। उन्होंने बताया कि यह एमडीए 2019-20 कार्यक्रम का द्वितीय चरण है। जिले में 17 फरवरी से घर-घर जाकर आशा कार्यकर्ता अपने सामने फाइलेरिया की दवा खिलाएंगी। केवल 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को यह दवाएं नहीं दी जाएंगी।


क्या है लिम्फैटिक फाइलेरियासिस


फ़ाइलेरिया, या हाथीपांव, रोग उत्तर प्रदेश समेत 16 राज्यों और 5  केंद्र शासित प्रदेशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या है। यह एक दर्दनाक रोग है जिसके कारण शरीर के अंगों में सूजन आती है, हालांकि इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है। यह रोग मच्छर के काटने से  ही फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया  दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तोइससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन  होती है। फ़ाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के कारण पीड़ितलोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।


एमडीए की दवा से कई लाभ


फ़ाइलेरिया से बचाव के साथ एमडीए दवाइयों से कई दूसरे लाभ भी हैं, जैसे यह आंत के कृमि का भी इलाज करती है  जिससे ख़ासकर बच्चों के पोषण स्तर में सुधार आता है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। गौरतलब है कि वर्ष 2004 से भारत सरकार नेदेश भर में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस  के संक्रमण से बचाव के लिए सभी प्रभावित जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड आयोजित किये हैं। एमडीए के दौरान डब्ल्यूएचओ से अनुशंसित की गई दवाइयां, डाइथेलकार्बामोजाइन साइट्रेट (डीईसी) और अलबेंडाजोल को उन सभी लोगों, फ़ाइलेरिया के संक्रमण से बचाव के लिए उपलब्ध करायी जा रही है, जिन्हें इस रोग के होने का खतरा है । इस रोग के संक्रमण को कम करने के लिए यह दवाई ऐसे क्षेत्र में रहने वाल़े सभी लोगों को खिलाई जाती है जो कि एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। क्योंकि इन प्रभावित क्षेत्र में रह रहे समुदाय में सभी लोगों को फ़ाइलेरिया के संक्रमण होने का खतरा है, इसलिए यह ज़रूरी है कि सभी लोग एमडीए दवाइयों  या फ़ाइलेरिया रोधी दवाइयों का सेवन सुनिश्चित करें।



सीएमओ का कहना है कि समुदाय के लोगों में इस बीमारी और इस रोग के इलाज में प्रयोग में आने वाली एमडीए दवाइयों के लाभ के बारे में अधिक जानकारी न होने से ज़्यादातर लोग दवाई का सेवन नहीं करतें हैं। यदि कुछ लोगों ने दवाई नहीं खायी है तो पूरे समुदाय को फ़ाइलेरिया से खतरा बना रहता है। समुदाय के सभी सदस्यों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है, कि वह स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की निगरानी में यह दवाएं लें और दूसरे लोगों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करें। हम में से हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह एमडीए को सफल बनाएं।


प्रदेश में फ़ाइलेरिया की स्थिति


उत्तर प्रदेश के 51 जिलों में फ़ाइलेरिया (हाथीपांव) रोग स्थानीय रूप से फैली हुई है। इनमें इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, अमेठी, औरैया, आज़मगढ़, बरेली,  बलिया, बलरामपुर, बांदा, बाराबंकी, बस्ती,  बहराइच, चंदौली, चित्रकूट, देवरिया, इटावा, फैजाबाद, फरुखाबाद, फतेहपुर, गाज़ीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हमीरपुर, हरदोई, जालौन, जौनपुर, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कौशांबी, खीरी, कुशीनगर, लखनऊ, महाराजगंज, महोबा,  मऊ,  मिर्जापुर,  पीलीभीत,  प्रतापगढ़,  रायबरेली, रामपुर, संत कबीर नगर,  संत रविदास नगर (भदोई), शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उन्नाव और वाराणसी शामिल हैं। 2018-19 में  लिंफोइडिमा के 93952 और हाइडड्रोसील के 26401 मामले पूरे राज्य में सामने आए है। इन 51 जिलों में से केवल रामपुर में एमडीए राउंड के माध्यम से संक्रमण का स्तर कम किया गया है,और अब सारा ध्यान बाकी बचे 50 जिलों पर है।.


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जिला मलेरिया अधिकारी डा. एके पांडेय ने बताया कि एमडीए उद्घाटन के दिन कुल 78 पीएचसी पर बने बूथों से 3565 लोगों ने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया।