शारीरिक पीड़ा को समझ बीमारियों से लड़ने का एक मानसिक जज्बा देती है नर्स : रीना त्रिपाठी

 


गोरखपुर। रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच गंगोत्री देवी स्कूल ऑफ नर्सिंग का आज जीएनएम तृतीय वर्ष का विदाई एवं प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ट्रेनिंग ले रही प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष की छात्राओं के लिए लिए शनिवार का खास दिन था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमती रीना त्रिपाठी , विशिष्ट अतिथि डाo पूनम शुक्ला व डॉ प्रियंका त्रिपाठी तथा अध्यक्षता आशुतोष मिश्र ने किया। प्राचार्या लौरिटा याकूब द्वारा अतिथियों का स्वागत फूल और बुके देकर किया गया। फूल खिलते हैं जब आप मुस्कुराते हैं, जहां आते हैं चार चांद लग जाते हैं, उस मंच की शोभा के क्या कहने, जहां आप जैसे अतिथि आते हैं। इस स्लोगन के साथ अतिथियों का स्वागत किया गया। 
तीन घंटे तक चले कार्यक्रम के बीच में तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंजता रहा। कार्यक्रम शुरू होने के पूर्व प्रार्थना हुई, सरस्वती वंदना के बाद दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया गया। सदा बचाती है रोगी को, दुख दर्दों की बीमारी से, भेदभाव नहीं करे वह नर रोगी और नारी से, देख बुलंदी नर्सों की, बीमारी डर जाती है, फ्लोंरेस की वह पावन बेटी नर्सिंग कहलाती है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि रीना त्रिपाठी ने कहा गंगोत्री देवी स्कूल ऑफ नर्सिंग द्वारा आयोजित इस बेहतरीन कार्यक्रम के लिये आप सभी को तहे दिल से धन्यवाद देती हूं। यह बेहद सुखद सूचना मिली है कि  इस वर्ष भी जीएनएम प्रथम , द्वितीय एवं तृतीय वर्ष एवं फिजियोथिरेपी की स्टेट मेडिकल की परीक्षा में शत प्रतिशत के साथ  बेहतरीन अंकों के साथ सफलता प्राप्त किया है। इसके लिए सभी छात्रायें , प्राचार्या एवं कालेज स्टॉफ बधाई के पात्र हैं। मैं आप सभी के उज्ज्वल  भविष्य की कामना करती हूँ। नर्सिंग दुनिया का सबसे ज्यादा सेवामयी पेशा है।  जिस प्रकार एक मां अपने बीमार बच्चे की देखभाल करती है, ठीक उसी प्रकार नर्स मां के रूप में काम करती है, लेकिन इन्हें सिस्टर कहने का प्रचलन है। आज के हेल्थ केयर सिस्टम में नर्से महत्वपूर्ण जीवनदायनी भूमिका निभा रही हैं। दरअसल ये मरीज की शारीरिक पीड़ा को अच्छी तरह समझ कर उन्हें बीमारियों से लड़ने का एक मानसिक जज्बा भी देती हैं। आजकल जितनी तेजी से हेल्थकेयर सेंटरों का विकास हो रहा है, इससे असीम संभावनाओं के द्वार खुलने लगे हैं। हेल्थ फिटनेस के प्रति बढ़ती जागरूकता के मद्देनजर नर्सिंग प्रोफेशनल्स के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। ऐसे बहुत से प्रोफेशन हैं, जो सीधे-सीधे सेवा, सत्कार एवं देखभाल से जुड़े हुए हैं।  नर्सिंग सेवा का सामाजिक अनुबंध होता है, जिसमें जीवन की रक्षा के गम्भीर उत्तरदायित्व शामिल होते हैं। धैर्य एवं अनुशासन के दायरे में रहते हुए नर्स को टीम भावना के तहत काम करना होता है। डॉक्टरों की भांति यह काम भी परिश्रम और समर्पण की मांग करता है। मरीजों की देखभाल को न सिर्फ ड्यूटी, बल्कि आत्मिक रूप से भी स्वीकार करने की जरूरत होती है, जिसमें देर रात तक जाग कर मरीजों की देखभाल करना भी शामिल होता है। पहले दक्षिण और पश्चिम भारत में नर्सिग कॉलेजों की अधिकता थी, लेकिन अब इसका विस्तार उत्तर और पूर्व भारत में भी होने लगा है। जैसे-जैसे हम विकास की राह पर आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे मेडिकल के क्षेत्र में भी विकास हो रहा है। इस कारण अब पहले से ज्यादा नर्सों की मांग हो रही है। मैं तो कहती हूं कि युवाओं को इस क्षेत्र में तेजी से आना चाहिए। यहां आपको पैसा तो मिलता ही है, साथ ही लोगों की दुआएं भी मिलती हैं। यह काम थोड़ा चुनौतीपूर्ण व तनावपूर्ण जरूर है, लेकिन हमें उन रोगियों की देखभाल तथा डॉक्टरों के साथ काम करना होता है, जो खुद ही तनावपूर्ण स्थितियों में होते हैं। ऐसी स्थिति में भी हमें सकारात्मक रवैया अपनाते हुए उनकी सेवा करनी होती है। कोर्स और कॉलेज के बारे में स्पष्ट करते हुए वह कहती हैं कि नर्सिंग इंस्टीटय़ूट में प्रवेश से पहले आप यह जांच लें कि वह मान्यताप्राप्त है या नहीं।
 नर्सिंग में मुख्यत: स्त्रियाँ ही काम करती हैं। वे आज संतोषपूर्वक यह कह सकती हैं कि उनका काम सम्मानित काम है, क्योंकि उनका जीवन दूसरों का जीवन उपयोगी तथा सुखी बनाने में लगा रहता है। उनको इस व्यवसाय में स्वाभाविक रूप से आनंद और आत्मसंतोष मिलता है क्योंकि वे एक परदु:खापहारी तथा सम्मानपूर्ण काम में संलग्न रहती हैं। पूर्वांचल के सबसे पुराने गंगोत्री देवी स्कूल ऑफ नर्सिंग का सुखद इतिहास रहा है यहां की छात्राओं ने सरकारी व निजी अस्पतालों में अपनी बेहतरीन सेवा देकर संस्था का नाम रोशन किया है। पूर्ण विश्वास है कि इस विदाई समारोह में शामिल छात्रायें भी अपने लगन एवं निष्ठापूर्ण सेवा से इस संस्था का नाम रोशन करेंगी।
जीवन एक यात्रा है न कि कोई तय स्थान कि यहाँ पर ठहरा जा सके । गुडबाय हमेशा के लिए नहीं होता है और न ही यह एक समाप्ति है. इसका साधारण अर्थ यह है कि जब तक हम लोग फिर से नही मिलते तब तक तुम याद आते रहोगे। थर्ड ईयर पास आउट जीएनएम की छाताओ से मैं कहना चाहूंगी कि यह  समाप्त हुआ इसके लिए मत रोना, बल्कि यह पूरा हुआ इसके लिए जश्न मनाओ ।विशिष्ट अतिथि डॉ पूनम शुक्ला व डॉ प्रियंका त्रिपाठी ने जीएनएम नर्सिंग के छात्राओं के उज्जवल भविष्य का संदेश दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आशुतोष मिश्र ने प्रशिक्षुओं को दूर दृष्टि पक्का इरादा का संदेश दिया।यदि आप में मानव सेवा की भावना, स्वभाव से विनम्रता, मरीजों में आत्मविश्वास जगाने की क्षमता जैसे गुण हों तो नर्सिंग की फील्ड में आपका स्वागत है,  इसमेंं ऎसे लोगों की आवश्यकता रहती है जो ईश्वरीय नियमों में दृढ़ निष्ठा रखती हों और जो सत्य सिद्धांतों पर अटल रहें तथा परिणाम की चिंता किए बिना, कैसे भी परिस्थिति क्यों न हो, वही करें जो उचित हो। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए यहां आए है उस दिशा की ओर बुलंदियों के साथ आगे बढ़े। उन्होंने प्रशिक्षुओं के सफलता के पथ पर बढ़ते रहने की कामना की।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से लौरिटा याकूब , आर वाशिंगटन , आराधना यादव, सत्या शर्मा, एमएल यादव , ऑफिस सुपरिटेंडेंट अभिनय मिश्र,देवेन्द्र चौधरी,सरोज मिश्रा, दुर्गा देवी और माधुरी का विशेष योगदान रहा।