कोरोना के खिलाफ सड़क पर उतरा निजी चिकित्सा क्षेत्र

कोरोना अलर्ट


गोरखपुर में कोरोना के खिलाफ सड़क पर उतरा निजी चिकित्सा क्षेत्र



  • डीएम और सीएमओ के निर्देश पर लोगों को जागरूक कर रही 26 अस्पतालों की टीम

  • निजी चिकित्सकों का हुआ प्रशिक्षण, विधायक डॉ. विमलेश पासवान ने भी किया प्रतिभाग

  • डीएम, एसएसपी व सीएमओ ने किया 100 शैय्या बेड के क्वेरेंटाइन वार्ड का निरीक्षण

  • शहर में दो एमएमयू, जबकि गांव में तीन एमएमयू दूरस्थ इलाकों व शेल्टर होम में दे रही हैं सेवा


गोरखपुर, 04 अप्रैल-2020 ।


कोरोना से बचाव के लिए गोरखपुर जनपद में निजी क्षेत्र के चिकित्सा संस्थान भी अहम भूमिका में आ गए हैं। जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन और सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी के निर्देश पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय ने निजी चिकित्सालयों से समन्वय तेज कर दिया है। इसी कड़ी में सीएमओ कार्यालय के प्रेरणा श्री सभागार में शनिवार को 27 अस्पतालों के चिकित्सकों व स्टॉफ का प्रशिक्षण हुआ। विधायक डॉ. विमलेश पासवान ने भी प्रशिक्षण में प्रतिभाग का और निजी क्षेत्र से अपील की कि कोरोना से बचाव में एकजुट होकर काम करें। उधर, डीएम के. विजयेंद्र पांडियन, एसएसपी डॉ. सुनील गुप्ता और सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने शनिवार को 100 शैय्या बेड के टीबी अस्पताल का निरीक्षण किया जहां 90 बेड का क्वेरेंटाइन वार्ड तैयार किया गया है।


नगरीय क्षेत्र में दो मोबाइल मेडिकल यूनिट, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में तीन मोबाइल मेडिकल यूनिट शेल्टर होम, वृद्धाश्रम, क्वेरेंटाइन स्थल पहुंच कर लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचा रही हैं। इन्हें निर्देश है कि बीमार लोगों को आवश्यक सुविधाएं मुहैय्या कराई जाएं और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें अस्पताल भिजवाया जाए।


स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी क्षेत्र की सहभागिता का असर है कि 26 अस्पतालों की टीम न केवल लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक कर रही हैं बल्कि प्रवासी कामगारों का धैर्य बढ़ाएं, आगे की राह सुझाएँ जैसी अपीलें भी की जा रही हैं। सीएमओ ने भी कहा है कि यह समय रोजी-रोटी छोड़कर गाँव लौटने वालों का मनोबल बढ़ाने का है।
सीएमओ ने बताया कि जिले में सभी पंजीकृत 238 अस्पतालों के स्टॉफ को कोरोना के संबंध में प्रशिक्षित करवाया जा रहा है। 27 अस्पतालों में प्रशिक्षण सम्पन्न हो चुका है। बाकी को भी प्रशिक्षित करवाया जाएगा। क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी के अधीन कार्यरत चिकित्साधिकारियों और उनके द्वारा प्रशिक्षित किये गये निजी चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा।


उन्होंने बताया कि निजी चिकित्सालयों की 26 टीम घर-घर भ्रमण करके लोगों को लॉकडाउन, कोरोना से बचाव के बारे में जानकारी देने के अलावा बाहर से आए लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही हैं। इस अभियान को और तेज किया जाएगा।


मनोबल बढ़ाने का वक्त है


कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में किये गए 21 दिन के लाक डाउन के बीच विभिन्न राज्यों और शहरों से अपने गाँव लौटने वालों से इस वक्त बहुत ही धीरज के साथ पेश आने की जरूरत है । एक ही झटके में इतना बड़ा फैसला लेकर वह गाँव इसलिए लौटे हैं कि वहां उनका दुःख-दर्द बेहतर तरीके से समझने वाले अपने लोग हैं । ऐसे में सभी की जिम्मेदारी उनके प्रति बढ़ जाती है कि उनके हौसले को बढ़ाने को लोग आगे आएं ताकि कोई भी अपने को अकेला न समझे। सीएमओ का भी मानना है कि अस्थायी स्क्रीनिंग शिविरों/आश्रय स्थलों (क्वेरेनटाइन) में 14 दिनों के लिए रखे गए लोगों को भी समझाया जाना चाहिए कि यह उनके अपने और अपनों की भलाई के लिए किया गया है ताकि देश कोरोना वायरस को हराने में सफल हो सके ।


अन्य संगठन भी कर रहे हैं अपील


प्रधानमंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा लगातार यह अपील की जा रही है कि इस मुसीबत की घडी में किसी के भी मन में एक पल के लिए यह भाव न आने पाए कि वह अकेला है क्योंकि इस वक्त उसके साथ पूरा देश खड़ा है । कोरोना वायरस के चलते जो स्थिति पैदा हुई है वह स्थायी रूप से रहने वाली नहीं है , कुछ ही दिनों में यह मुश्किल वक्त ख़तम हो जाएगा और फिर से जिन्दगी चल पड़ेगी । ऐसे लोगों के सामने किसी भी तरह की दया को प्रतिबिंबित करने के बजाय जीत के भाव से पेश आयें , क्योंकि ऐसे वक्त में आगे के रोजी-रोजगार की चिंता उनको हर पल सता रही होगी । ऐसे में वह कोई गलत कदम उठाने को न मजबूर हों, इस बारे में भी सभी को सोचना चाहिए । उनको इस मनोदशा से उबारने के लिए ही सरकार उनकी काउंसिलिंग के लिए मनोचिकित्सकों की भी मदद ले रही है ।    


लोग क्या कहेंगे का भाव मन में न आए 


मनोचिकित्सकों का कहना है कि इस समय गाँव लौटने वालों के साथ सम्मान का व्यवहार करें और समझाने की कोशिश करें कि उन्होंने समाज और घर-परिवार के लिए बहुत कुछ किया है । इस वक्त उनके द्वारा लिया गया यह फैसला बहुत ही सही है । इस तरह के व्यवहार से उनके मन में यह भाव आने ही नहीं पाएगा कि लोग क्या कहेंगे । इसके साथ ही यदि किसी के कोरोना से संक्रमित होने की बात भी सामने आती है तो उसके साथ किसी भी तरह के दुर्व्यवहार करने से बचें । इसके लिए जरूरत सिर्फ सावधानी बरतने की है क्योंकि सतर्कता में ही कोरोना का सही इलाज निहित है ।