पपीते की खेती से बदल रही है महिलाओं की जिंदगी

समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड के चन्दौली पंचायत के लगभग 5 दर्जन महिला किसानों की जिन्दगी में पपीते की उन्नतिशील खेती से भारी बदलाव आ रहा है। ग्रामीण विकास के लिए समर्पित संस्था आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम भारत इन सभी महिलाओं के जज्बे को आयाम देने का कार्य कर रही है।


एक सामूहिक बैठक में इन होनहार महिलाओं ने बताया कि कैसे उन लोगों ने 1 वर्ष पूर्व पारंपरिक खेती छोड पपीते की खेती शुरू की थी। तब लोग इनका मजाक उड़ाते थे किन्तु अपनी धुन के पक्की इन महिलाओं ने इस चुनौती को स्वीकार किया और सफलता को ध्येय बनाया। नतीजा केवल 1 वर्ष में सामने है जो इनके सफलता की कहानी बयान करते हैं। एक महिला उत्साहित होकर बताती हैं "जब हम लोगों ने संस्था से विचार विमर्श कर पपीते की खेती शुरू की तो लोग हमें पागल कहते थे, लेकिन आज आसपास के गांवों के भैया और दीदी लोग हमारे पास देखने और सीखने आते हैं और कहते हैं कि हमें भी पपीते की खेती करनी है।" साल में सारे खर्च काटकर प्रति कट्ठा 30 से 40 हजार रुपए की आमदनी कर लेते हैं। स्थानीय पूसा और सुजावलपुर बाजार में ही अच्छी कीमत पर सारे फल बिक जाते हैं। पारंपरिक खेती से इतनी आमदनी संभव नहीं है। आज इनकी प्रेरणा से अन्य गावों के सैकड़ों महिला एवं पुरूष किसान पपीते की खेती करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।